जानें कौन हैं गूगल क्रोम खरीदने का प्रस्ताव देने वाले अरविंद श्रीनिवास

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Perplexity AI के सीईओ और सह-संस्थापक अरविंद श्रीनिवास ने हाल ही में उस समय दुनिया भर का ध्यान खींचा जब उनकी कंपनी ने गूगल के लोकप्रिय वेब ब्राउज़र Chrome को $34.5 बिलियन डॉलर में खरीदने का प्रस्ताव दिया। यह कदम इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि यह राशि Perplexity के खुद के मूल्यांकन ($14 बिलियन) से कहीं अधिक है, और Chrome गूगल के सबसे अहम उत्पादों में से एक है।

IIT मद्रास से ली डिग्री

अरविंद श्रीनिवास का जन्म चेन्नई, भारत में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई IIT मद्रास से की और इसके बाद आगे की शिक्षा के लिए अमेरिका का रुख किया, जहाँ उन्होंने University of California, Berkeley से आगे की पढ़ाई की। अपने करियर की शुरुआत में उन्होंने विश्वप्रसिद्ध AI शोधकर्ता Yoshua Bengio के साथ काम किया, और गूगल में भी एक कार्यरत रहे। इन्हीं अनुभवों ने उन्हें इंटरनेट टेक्नोलॉजी और सर्च सिस्टम्स की गहराई से समझ दी।

2022 में अरविंद ने Denis Yarats, Johnny Ho और Andy Konwinski के साथ मिलकर Perplexity AI की स्थापना की — एक ऐसा AI-आधारित सर्च इंजन जो रियल-टाइम में यूजर्स को सटीक और संवादात्मक उत्तर देने के लिए डिजाइन किया गया है। तीन साल में ही Perplexity ने खुद को एक उत्कृष्ठ सर्च इंजन चैलेंजर के रूप में स्थापित कर लिया है।

Chrome को खरीदने का प्रस्ताव:

गूगल को भेजे गए प्रस्ताव में Perplexity ने Chrome को $34.5 बिलियन में खरीदने की इच्छा जताई है। यह वही Chrome है जिसका इस्तेमाल आज दुनियाभर में तीन अरब से ज्यादा लोग करते हैं और जो गूगल की सर्च, ऐड्स और क्लाउड सेवाओं का प्रमुख प्रवेशद्वार है। ऐसे में एक तीन साल पुरानी कंपनी का Chrome पर दावा ठोकना कई लोगों को या तो हैरानी में डाल गया है।

गौरतलब है कि अमेरिका में हाल ही में गूगल के खिलाफ एक बड़ा एंटीट्रस्ट फैसला आया है। एक जिला न्यायाधीश ने पाया कि गूगल ने अपने सर्च एकाधिकार को बनाए रखने के लिए गैरकानूनी तरीके अपनाए, जिनमें डिवाइसेज़ और ब्राउज़रों पर डिफॉल्ट सर्च इंजन बने रहने के लिए भारी रकम चुकाना शामिल है। इसी परिप्रेक्ष्य में Chrome को संभवतः अलग करने की बात सामने आई है — और Perplexity का प्रस्ताव उसी की एक प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है।

हालांकि, विशेषज्ञों की राय में Chrome को Google से अलग कर स्वतंत्र रूप से चलाना एक बहुत बड़ी चुनौती होगी। Chrome गूगल के पूरे इकोसिस्टम से गहराई से जुड़ा है, और उसे अलग करना न सिर्फ तकनीकी रूप से जटिल है, बल्कि इससे उसकी उपयोगिता भी प्रभावित हो सकती है। साथ ही, Perplexity के पास इस डील को फंड करने के लिए जितनी पूंजी की जरूरत होगी, वह अभी उनके पास नहीं है — उन्हें बाहरी निवेश और भारी कर्ज की जरूरत पड़ेगी।

फिर भी, इस सार्वजनिक ऑफर के बाद Perplexity को वैश्विक मीडिया में व्यापक कवरेज मिली है, जिससे यह साफ है कि कंपनी खुद को गूगल जैसे दिग्गजों के सामने खड़ा करने का इरादा रखती है। हाल ही में Perplexity ने अपना खुद का AI-पावर्ड ब्राउज़र Comet भी लॉन्च किया है, जो उन्हें पारंपरिक सर्च इंजन सिस्टम से अलग करने की एक और कोशिश है।

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