16 जुलाई को यमन में हो सकती है निमिषा प्रिया की फांसी, भारत सरकार ने कहा- हर संभव प्रयास जारी,लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं

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निमिषा प्रिया

यमन की राजधानी सना की जेल में बंद केरल की नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में एक यमनी नागरिक की कथित हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है, और रिपोर्टों के अनुसार, उनका फांसी 16 जुलाई को तय किया गया है। इस मामले में सोमवार, 14 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जो उनकी जान बचाने के लिए अभियान चला रही है। भारत सरकार की ओर से देश के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष पेश होकर कहा कि सरकार इस मामले में “जो कुछ भी संभव है, वह कर रही है”। उन्होंने कहा कि यमन की वर्तमान राजनीतिक स्थिति और संवेदनशील माहौल को देखते हुए भारत के पास सीमित विकल्प हैं। वेंकटरमणि ने कहा कि भारत सरकार निश्चित रूप से अपनी नागरिक की जान बचाना चाहती है, लेकिन यमन में कोई ऐसी संस्थागत प्रणाली नहीं है जहां भारत औपचारिक अनुरोध कर सके और उन्हें सुना जाए। निमिषा प्रिया को राहत दिलाने के लिए हर संभव माध्यम अपनाया जा चुका है। लेकिन अब तक कुछ भी कारगर नहीं हुआ है, और यह स्थिति अब भारत सरकार के नियंत्रण से बाहर हो सकती है।

हालांकि अभी तक भारत सरकार और याचिकाकर्ता संगठन – दोनों को यमन सरकार की ओर से कोई आधिकारिक सूचना प्राप्त नहीं हुई है जिससे यह स्पष्ट हो कि फांसी की तारीख 16 जुलाई तय हो गई है या नहीं।

रक्त धन (ब्लड मनी) देने का विकल्प अब भी खुला, लेकिन उम्मीद बहुत कम

सुनवाई के दौरान संगठन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रघेन्त बासंत ने कहा कि निमिषा प्रिया के परिवार की उम्मीदें अभी भी ज़िंदा हैं। उन्होंने कहा कि यदि धन की कमी के कारण उनकी जान जाती है, तो यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण होगा। उन्होंने कोर्ट को बताया, “हम अधिक रक्त धन देने के लिए तैयार हैं।”यमन के कानून के तहत, मृतक के परिजनों को ‘दिया’ (ब्लड मनी) देकर क्षमा पाने का विकल्प अब भी उपलब्ध है। लेकिन यमन में चल रहे गृह युद्ध और यात्रा प्रतिबंधों के कारण पीड़ित परिवार से प्रभावी बातचीत संभव नहीं हो पाई है। इसके अलावा कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया मृतक के परिवार से पैसे देने की बात हुई है लेकिन परिवार उसके लिए राजी नहीं हुआ।

निमिषा यमन में कैसे फंसी ?

निमिषा प्रिया वर्ष 2008 में बेहतर कमाई के उद्देश्य से खाड़ी देश — यमन — गई थीं। उनके माता-पिता दिहाड़ी मज़दूर थे, और परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उन्होंने विदेश का रुख किया। यमन में उन्होंने कई अस्पतालों में नर्स के रूप में काम किया और बाद में अपना खुद का क्लिनिक शुरू किया। याचिका में बताया गया है कि वर्ष 2015 में निमिषा प्रिया ने यमन की राजधानी सना में एक स्थानीय नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर अपना निजी क्लिनिक शुरू किया था। यमन में केवल वहां के नागरिकों को व्यवसाय करने की अनुमति थी, इसलिए उन्होंने महदी के रूप में एक यमनी पार्टनर के साथ साझेदारी का रास्ता चुना था।

हालांकि, क्लिनिक शुरू होने के कुछ समय बाद ही तलाल महदी ने क्लिनिक की पूरी कमाई पर नियंत्रण कर लिया और निमिषा को उससे अलग करने लगा। जब निमिषा ने इसका विरोध किया तो तलाल ने उन्हें धमकाना शुरू कर दिया। मामला यमन की कोर्ट पहुंचा महदी ने फर्जी दस्तावेज़ बनाकर यह साबित करने की कोशिश की कि निमिषा उसकी पत्नी है और इसके बाद उसने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से बुरी तरह प्रताड़ित किया। इसी दौरान, प्रिया का उसने पासपोर्ट और जरूरी दस्तावेज भी छीन लिए, जिस कारण वह वापस भारत भी नहीं आ पाई। जुलाई 2017 में, एक स्थानीय जेल के वार्डन की मदद से निमिषा ने तलाल से अपना पासपोर्ट वापस लेने की योजना बनाई। योजना के अनुसार, उन्होंने तलाल को बेहोश करने की कोशिश की ताकि वे अपना उससे पासपोर्ट निकाल सकें। लेकिन दवा की ओवरडोज से महदी की मौत हो गई।

निमिषा ने 2011 में एक मलयाली युवक से विवाह किया था, और दोनों की एक बेटी भी है। हालांकि, आर्थिक समस्याओं के चलते उनके पति और बेटी तीन साल बाद भारत लौट आए। इसी बीच यमन गृह युद्ध में फंस चुका था और उस देश में किसी संस्थागत व्यवस्था के न चलते वहां हूथी समुदाय का शासन हो गया, जो एक आंतकवादी संगठन है।

2020 में सुनाई गई मौत की सजा

इसके बाद, यमन की एक ट्रायल कोर्ट ने निमिषा प्रिया को 2020 में मौत की सजा सुनाई। यमन की उच्च न्यायालयों में की गई उनकी सभी अपीलें खारिज कर दी गईं। अब उनकी फांसी की तारीख 16 जुलाई 2025 बताई जा रही है, हालांकि यमन सरकार की ओर से इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है।

निमिषा प्रिया, जैसी कि हर साल बड़ी संख्या में केरल की नर्सें करती हैं, वर्ष 2008 में बेहतर वेतन कमाने के उद्देश्य से खाड़ी देश — यमन — गई थीं। उनके माता-पिता दिहाड़ी मज़दूर थे, और परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उन्होंने विदेश का रुख किया। यमन में उन्होंने कई अस्पतालों में नर्स के रूप में काम किया और बाद में अपना खुद का क्लिनिक शुरू किया।

चूंकि यमन में कोई भी विदेशी अकेले व्यवसाय नहीं कर सकता था, इसलिए उन्हें एक स्थानीय नागरिक अब्दी को साझेदार बनाना पड़ा। लेकिन बाद में, निमिषा ने आरोप लगाया कि अब्दी ने उनके साथ दुर्व्यवहार और शोषण शुरू कर दिया।

निमिषा ने 2011 में एक मलयाली युवक से विवाह किया था, और दोनों की एक बेटी भी है। हालांकि, आर्थिक समस्याओं के चलते उनके पति और बेटी तीन साल बाद भारत लौट आए।

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