किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से कोई समझौता नहीं- पीएम मोदी ने भरी हुंकार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को साफ कर दिया कि सरकार किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों को लेकर कोई समझौता नहीं होगा, चाहे उन्हें इसके लिए कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। अमेरिका की ओर से भारत पर बढ़ते व्यापारिक दबाव और कृषि उत्पादों पर शून्य शुल्क की मांग के बीच, प्रधानमंत्री ने यह संदेश दिल्ली में आयोजित एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिया।

उन्होंने कहा, “हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों के, पशुपालकों के और मछुआरों भाई बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा। और, मैं जानता हूं, व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं। मेरे देश के किसानों के लिए, मेरे देश के मछुआरों के लिए, मेरे देश के पशुपालकों के लिए आज भारत तैयार है। किसानों की आय बढ़ाना, खेती पर कम खर्च करना और आय के नए स्रोत बनाने के इन लक्ष्यों पर हम लगातार काम कर रहे हैं”

प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर लगातार व्यापार वार्ताएं चल रही हैं। अमेरिका यह मांग कर रहा है कि भारत उसके सभी कृषि और डेयरी उत्पादों को बिना किसी शुल्क के भारतीय बाजार में प्रवेश की अनुमति दे।

ट्रंप ने भारत पर लगाया 50 फीसदी टैरिफ

बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ और अधिक सख्त रुख अपनाते हुए अधिकांश भारतीय निर्यात पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की। अमेरिको को भारत के रूस से कच्चे तेल की खरीदने से एतराज है, जिसके चलते भारत पर और अधिक दबाव बनाने का प्रयास जारी है। इस निर्णय के बाद कुछ उत्पादों पर कुल शुल्क 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है। प्रभावित वस्तुओं में झींगा (shrimps) भी शामिल है, जो अमेरिका को भारत के प्रमुख मत्स्य निर्यातों में से एक है।

वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में किसानों और मछुआरों के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि देश किसी भी दबाव में आकर उनके हितों से समझौता नहीं करेगा।

कृषि, खासकर जीएम (जैव-संशोधित) उत्पादों के आयात पर भारत की पाबंदियों को लेकर अमेरिका बार-बार आपत्ति जताता रहा है और इन्हें भेदभावपूर्ण करार देता आया है। अब यह मुद्दा भारत-अमेरिका के बीच व्यापार वार्ताओं का सबसे बड़ा अड़चन बन गया है।

50 फीसदी शुल्क की घोषणा 25 अगस्त को नई दिल्ली में प्रस्तावित अमेरिका-भारत व्यापार प्रतिनिधिमंडल की यात्रा से कुछ हफ्ते पहले ही आई है। कुछ दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि भारत रूस से तेल खरीद कर रहा है, और यह रूस-यूक्रेन युद्ध की स्थिति को और गंभीर बना रहा है। भारत रूस से व्यापार कर आंशिक रुप से टेरर स्पांस्सर कर रहा है।

इन शुल्कों के चलते भारत को वियतनाम, बांग्लादेश और यहां तक कि चीन जैसे क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले व्यापार में नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि इन देशों को अमेरिकी की तरफ से बेहतर व्यापार शर्तें दी जा रही हैं।

विदेश मंत्रालय ने दिया जवाब

नई दिल्ली ने इस अमेरिकी निर्णय पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अयथार्थवादी” करार दिया है। सरकार ने कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए जो भी आवश्यक होगा, वह कदम उठाएगी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार शाम अपने बयान में कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाल के दिनों में भारत के रूस से तेल आयात को निशाना बनाया है। हमने इन मुद्दों पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया है। हमारा आयात बाजार के कारकों पर आधारित है और इसका उद्देश्य 1.4 अरब भारतीयों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है।”

उन्होंने आगे कहा, “यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने उन कार्रवाइयों के लिए भारत पर अतिरिक्त शुल्क थोपने का रास्ता चुना है, जिन्हें कई अन्य देश भी अपने-अपने राष्ट्रीय हितों में कर रहे हैं।” बयान में यूरोप और चीन का भी उल्लेख था, जो रूस से ऊर्जा खरीद रहे हैं लेकिन उनके खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। “हम दोहराते हैं कि ये कार्रवाइयां अनुचित, अन्यायपूर्ण और अयथार्थवादी हैं। भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।”

इस प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि चाहे अमेरिका कितना भी दबाव बनाए, भारत किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है और इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगा।

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