दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में शुक्रवार शाम को फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए। यह लगातार दूसरा दिन था जब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में धरती हिली । राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (National Center for Seismology) के अनुसार, यह भूकंप शाम 7:49 बजे आया और इसका केंद्र हरियाणा के झज्जर जिले में 10 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। वहींं रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.7 मापी गई।
झज्जर बना लगातार दो दिन भूकंप का केंद्र
दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद और आसपास के इलाकों में इस भूकंप के झटके स्पष्ट रूप से महसूस किए गए। इससे एक दिन पहले, गुरुवार सुबह 9:04 बजे भी दिल्ली-एनसीआर में भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता 4.4 थी। उस भूकंप का केंद्र भी झज्जर ही था और वह दिल्ली से लगभग 51 किलोमीटर पश्चिम में और झज्जर से तीन किलोमीटर उत्तर-पूर्व में था। उसकी भी गहराई 10 किलोमीटर थी
दिल्ली में क्यों आते हैं बार-बार भूकंप के झटके
दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में भूकंप कोई नई बात नहीं है। इससे पहले फरवरी में भी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 4.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र पांच किलोमीटर की गहराई में था।
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Delhi Disaster Management Authority – DDMA) के अनुसार, राजधानी को भूकंपीय जोन-4 (Seismic Zone IV) में रखा गया है, जिसे भारत के भूकंपीय मानचित्र में “उच्च क्षति जोखिम क्षेत्र” (High Damage Risk Zone) माना जाता है। इसका मतलब यह है कि इस क्षेत्र में मध्यम से तीव्र तीव्रता वाले भूकंप आने की संभावना अधिक रहती है, खासकर हिमालयी क्षेत्र में आने वाले भूकंपों के कारण।
आमतौर पर दिल्ली में भूकंप की तीव्रता 5 से 6 के बीच होती है। हालांकि, 7 से 8 तीव्रता का भूकंप भी कभी-कभी आ सकता है, जिसे “आकस्मिक” माना जाता है, लेकिन इसके प्रभाव बड़े पैमाने पर हो सकते हैं।
लगातार दो दिनों तक झज्जर को केंद्र मानकर आए भूकंपों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के लिए कोई बड़ी चेतावनी छुपी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि सतर्कता और तैयारी ही सबसे बड़ा बचाव है।