यमन सरकार द्वारा भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर रोक लगाने के बाद उसकी ज़िंदगी अब मृतक के परिवार के फैसले पर निर्भर है। प्रिया को हत्या के आरोप में 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी, लेकिन भारत से लगातार आ रहे दबाव और कई प्रयासों के चलते यमन सरकार ने फांसी को फिलहाल टाल दिया है।
हालांकि, फांसी पर रोक लगने के बाद भी पीड़ित परिवार ने यह साफ कर दिया है कि वे प्रिया को माफ नहीं करेंगे और न ही ”ब्लड मनी” स्वीकार करेगें। तलाल के भाई अब्दुल फ़तह महदी ने बीबीसी अरबी को बताया कि उनका परिवार क़िसास (इस्लामी न्याय व्यवस्था में बदले की सज़ा) की मांग कर रहा है और चाहता है कि निमिषा प्रिया को मौत की सजा दी जाए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वे न तो माफ करेंगे और न ही कोई धनराशि लेकर समझौता करेंगे।
इस बीच, ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के एक पदाधिकारी ने कहा, “अब मामला पूरी तरह से पीड़ित परिवार के हाथ में है। उन्हें एक भीषण अपराध को माफ करने के लिए तैयार करना एक बड़ी चुनौती है।”
विदेश मंत्रालय ने कहा- हरसंभव प्रयास जारी
भारत सरकार ने गुरुवार को कहा कि वह यमन की सरकार और कुछ मित्र देशों से संपर्क में है ताकि इस मामले में “आपसी सहमति से समाधान” निकाला जा सके। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि सरकार प्रिया के परिवार को अधिक समय दिलाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है ताकि वे पीड़ित परिवार के साथ समझौता कर सकें।
जायसवाल ने गुरुवार को कहा, “यह एक संवेदनशील मामला है और भारत सरकार इस मामले में हरसंभव सहायता दे रही है। हमने कानूनी सहायता उपलब्ध कराई है, वकील नियुक्त किया है, नियमित काउंसलर विज़िट की व्यवस्था की है, और यमन की स्थानीय सरकार व पीड़ित परिवार के साथ लगातार संपर्क में हैं। हाल के दिनों में हमने खासतौर पर इस दिशा में कोशिशें की हैं कि निमिषा प्रिया के परिवार को कुछ और समय मिल सके ताकि दोनों पक्ष आपसी सहमति तक पहुंच सकें।” उन्होंने यह भी बताया कि भारत इस मामले में कुछ मित्र देशों के संपर्क में है, हालांकि उन्होंने इन देशों का नाम नहीं लिया।
भारत की यमन में कोई राजनयिक उपस्थिति नहीं है, और इस मामले को सऊदी अरब में स्थित भारतीय मिशन के राजनयिक देख रहे हैं।
प्रेस वार्ता में जायसवाल ने उस सवाल पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया जिसमें पूछा गया था कि क्या केरल के सुन्नी धर्मगुरु और ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम ए.पी. अबूबक्कर मुसलियार की भूमिका इस फांसी की टालने में रही है।
हालांकि, मुफ्ती अबूबक्कर मुसलियार ने खुद कहा कि उन्होंने निमिषा प्रिया के परिवार की ओर से कुछ यमनी इस्लामी विद्वानों से बात की थी ताकि प्रिया की फांसी को रोका जा सके।
फिलहाल, निमिषा प्रिया यमन की राजधानी सना के एक जेल में बंद हैं, जो ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों के नियंत्रण में है। 38 वर्षीय यह भारतीय नागरिक हत्या के आरोप में मौत की सजा पा चुकी हैं, लेकिन भारत सरकार के हस्तक्षेप के चलते उनकी फांसी को टाल दिया गया है। अब उनकी ज़िंदगी मृतक परिवार की माफ़ी पर टिकी है।