शुक्रवार शाम को 71 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरुस्कार की घोषणा कर दी गई है। इसमें 2023 में भारतीय सिनेमा में बेहतरीन योगदान देने वाले कलाकारों, तकनीशियनों और फिल्मों को सम्मानित किया गया। इस बार का आयोजन कई मायनों में ऐतिहासिक रहा, क्योंकि बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान को अपने करियर का पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। उन्हें यह सम्मान फिल्म ‘जवान’ में उनके दमदार अभिनय के लिए दिया गया। उनके साथ ही विक्रांत मैसी को ’12th फेल’ और रानी मुखर्जी को ‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’ में उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया।
फिल्म द केरल स्टोरी के निर्देशक सुदीप्तो सेन को सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का पुरस्कार मिला। वहीं, विजुअल इफेक्ट्स और एनिमेशन की श्रेणी में हनुमान को सर्वश्रेष्ठ फिल्म घोषित किया गया। नाल 2 को बच्चों की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के खिताब से सम्मानित किया गया।
इस बार क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों को भी खासा महत्व मिला। तमिल फिल्म पार्किंग को सर्वश्रेष्ठ तमिल फिल्म घोषित किया गया, जबकि तेलुगु भाषा की ओर से भगवंत केसरी को यह सम्मान मिला। मलयालम की उल्लोज़ुक्कु, मराठी की श्यामची आई, और पंजाबी की गोड्डे गोड्डे चा जैसी फिल्मों को भी अपनी-अपनी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों के रूप में चुना गया। उड़िया की पुष्करा, असमिया की रोंगतापु 1982, बांग्ला की दीप फ्रिज, और गुजराती फिल्म वश को भी क्षेत्रीय श्रेणी में पुरस्कार प्राप्त हुआ।
तकनीकी श्रेणियों में भी उल्लेखनीय काम को सराहा गया। रॉकी और रानी की प्रेम कहानी के गीत “ढिंढोरा बाजे रे” के लिए वैभवी मर्चेंट को सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का पुरस्कार दिया गया, जबकि बालगम के गाने “ऊरु पल्लेटुरु” के लिए कासरला श्याम को सर्वश्रेष्ठ गीतकार चुना गया। संगीत निर्देशन में जीवी प्रकाश कुमार (वाती) और हर्षवर्धन रमेश्वर (एनीमल) को संयुक्त रूप से सम्मान मिला।
सैम बहादुर फिल्म ने तकनीकी श्रेणियों में दो पुरस्कार जीते—श्रीकांत देसाई को सर्वश्रेष्ठ मेकअप और सचिन, दिव्या और निधि को सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिज़ाइन के लिए सम्मानित किया गया। एक्शन निर्देशन का खिताब फिल्म हनुमान के नंदू और प्रुध्वी को मिला।
इस वर्ष के पुरस्कार न सिर्फ बॉलीवुड सितारों के लिए ऐतिहासिक रहे, बल्कि भारतीय सिनेमा की विविधता और गहराई को भी उजागर करने वाले साबित हुए। क्षेत्रीय सिनेमा से लेकर तकनीकी दक्षता तक, हर पहलू को सराहा गया और उन कलाकारों को मंच मिला, जो पर्दे के पीछे रहकर भी सिनेमा को बेहतर बनाते हैं।
क्षेत्रीय भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ फिल्में:
सर्वश्रेष्ठ ताई फाके फिल्म: पाई टांग
सर्वश्रेष्ठ गारो फिल्म: रिमदोतियांग
सर्वश्रेष्ठ तेलुगु फिल्म: भगवंत केसरी
सर्वश्रेष्ठ तमिल फिल्म: पार्किंग
सर्वश्रेष्ठ पंजाबी फिल्म: गड्डे गड्डे चा
सर्वश्रेष्ठ उड़िया फिल्म: पुष्कर
सर्वश्रेष्ठ मराठी फिल्म: श्यामची आई
सर्वश्रेष्ठ मलयालम फिल्म: उल्लोज़ुक्कु
सर्वश्रेष्ठ कन्नड़ फिल्म: कंदीलु
सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म: कटहल
सर्वश्रेष्ठ गुजराती फिल्म: वश
सर्वश्रेष्ठ बांग्ला फिल्म: डीप फ्रिज
सर्वश्रेष्ठ असमिया फिल्म: रोंगतापु 1982