मलयालम एक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन की बहुचर्चित फिल्म आडुजीविथम: द गोट लाइफ को 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में कोई भी पुरस्कार नहीं मिला, जिससे सोशल मीडिया पर सवाल उठने लगे कि इतने प्रशंसित और सफल फिल्म को क्यों नजरअंदाज किया गया। सोशल मीडिया में भड़की इस बहस के बाद अब राष्ट्रीय पुरस्कारों की जूरी के सदस्य प्रदीप नायर ने इस पर प्रतिक्रिया दी है।
‘फिल्म में नैचुरलिटी नहीं थी’ – आशुतोष गोवारिकर
प्रदीप नायर ने Onmanorama को दिए इंटरव्यू में बताया कि फिल्म पुरस्कारों की दौड़ में थी, लेकिन अंतिम वोटिंग के दौरान बाहर हो गई। उन्होंने खुलासा किया कि जूरी के चेयरपर्सन आशुतोष गोवारिकर ने गोवा फिल्म फेस्टिवल में यह फिल्म देखी थी। लगान जैसी फिल्में बनाने वाले गोवारिकर को फिल्म में वास्तविकता की कमी दिखाई दी, साथ ही साथ एक्टर की परफार्मेस थोड़ी बनावटी लगी। जिस कारण द गोट लाइफ कोई अवार्ड नहीं जीत पाई।
गीत और पार्श्वगायन की कैटेगरी में भी चूकी फिल्म
फिल्म के गीत ‘पेरियोने रहमाने’ को बेस्ट लिरिक्स और बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर श्रेणियों में विचार किया गया था। लेकिन अंग्रेज़ी अनुवाद की कमी के कारण इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। अंततः, बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का पुरस्कार ‘बेबी’ फिल्म के ‘प्रेमिष्ठुन्ना’ गीत के लिए रोहित को मिला और बेस्ट लिरिक्स का पुरस्कार ‘बलगम’ फिल्म के लिए कसरला श्याम को दिया गया।
द गोट लाइफ
ब्लेसी द्वारा निर्देशित द गोट लाइफ यानि आडुजीवितम: मलयाली प्रवासी मजदूर नजीब की सच्ची कहानी पर आधारित है। फिल्म को समीक्षकों ने सराहा था और बॉक्स ऑफिस पर भी इसे ज़बरदस्त सफलता मिली थी। साल 2024 में रिलीज़ हुई इस फिल्म ने 158 करोड़ की कमाई कर मलयालम सिनेमा की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में जगह बना ली।
शाहरुख खान को जवान के लिए मिला अवार्ड
बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान को उनकी फिल्म जवान के लिए बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला है। सोशल मीडिया यूजर्स का मानना है कि फिल्म के विषय और खान की एक्टिंग देखते हुए वह नेशनल अवार्ड तो डिजर्व नहीं करते हैं। इसके बजाय शाहरुख को कई साल पहले उनकी फिल्म जैसे चक दे इंडिया और स्वदेस के लिए यह अवार्ड मिल जाना चाहिए था।