नई दिल्ली के राममनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में भर्ती पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। उनके आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर उनकी मृत्यु की पुष्टि की गई है। मलिक का पार्थिव शरीर अब आर के पुरम स्थित उनके आवास लाया जाएगा और अंतिम संस्कार बुधवार को लोधी श्मशान घाट पर किया जाएगा।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत से ताल्लुक रखने वाले सत्यपाल मलिक ने 1970 के दशक में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। वह पहली बार चौधरी चरण सिंह की भारतीय क्रांति दल के टिकट पर विधायक बने थे। साल 1980 में उन्हें चरण सिंह के लोकदल की ओर से राज्यसभा भेजा गया। लेकिन 1984 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया, जिसने 1986 में उन्हें दोबारा राज्यसभा सदस्य बनाया।
केन्द्र की आलोचना से चर्चा का विषय बनें
मलिक ने अपने पांच दशक लंबे राजनीतिक करियर में कई दलों का दामन थामा। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के तौर पर उनका एक साल का कार्यकाल अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के साथ समाप्त हुआ। इसके अलावा वे गोवा और मेघालय के राज्यपाल भी रहे।
सत्यपाल मलिक ने अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान ही 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करते हुए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों — जम्मू-कश्मीर और लद्दाख — में विभाजित कर दिया था।
राज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्तियां सिर्फ जम्मू-कश्मीर तक सीमित नहीं रहीं। उन्होंने अक्टूबर 2017 से अगस्त 2018 तक बिहार के राज्यपाल का पद संभाला। इसके अलावा, मार्च 2018 से मई 2018 तक ओडिशा के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी उन्हें सौंपा गया था।
जम्मू-कश्मीर से स्थानांतरित होने के बाद उन्हें गोवा का 18वां राज्यपाल नियुक्त किया गया। इसके पश्चात उन्होंने अक्टूबर 2022 तक मेघालय के 21वें राज्यपाल के रूप में भी सेवा दी।
अपने बेबाक स्वभाव और विवादित बयानों के लिए चर्चित रहे सत्यपाल मलिक ने कई बार केंद्र सरकार की नीतियों और फैसलों पर तीखे सवाल उठाए थे। विशेष रूप से उन्होंने पुलवामा हमले और भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर सरकार की आलोचना की थी, जिससे वे चर्चाओं में बने रहे। खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी कई गंभीर आरोप लगाए थे। द वायर को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने 2019 के पुलवामा हमले और भ्रष्टाचार को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए थे।