अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 25% शुल्क लगाने और रूस से तेल खरीद पर अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी के बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को नीतिगत ब्याज दर को यथावत रखा। केंद्रीय बैंक ने वैश्विक व्यापार नीतियों में बदलाव और अमेरिका की संभावित टैरिफ बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए ग्रोथ अनुमान को घटा दिया है।
आरबीआई ने मौजूदा रेपो रेट को 5.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने सर्वसम्मति से ‘न्यूट्रल’ रुख बनाए रखने का फैसला किया।
आरबीआई गवर्नर ने अमेरिका के टैरिफ निर्णयों पर सीधे तौर पर टिप्पणी नहीं की, लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि इनका भारत की वृद्धि पर जो प्रभाव पड़ेगा, उसका अनुमान लगाना फिलहाल मुश्किल है।
उन्होंने कहा, “बाहरी मांग की संभावनाएं टैरिफ घोषणाओं और व्यापार वार्ताओं के बीच अनिश्चित बनी हुई हैं। लंबे समय से चल रहे भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक अनिश्चितताएं और वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव ग्रोथ आउटलुक के लिए जोखिम पैदा करते हैं।”
केंद्रीय बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए विकास दर के अनुमान को पहले के 6.7 फीसदी से घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया है। गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि इस संशोधित अनुमान में कई वैश्विक अनिश्चितताओं को पहले ही शामिल कर लिया गया है।
आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा, ” हम मजबूत विकास कर रहे हैं और ग्रोथ पूर्वानुमानों के अनुसार हो रही है। हालांकि वर्तमान ग्रोथ हमारी अपेक्षाओं से थोड़ा कम है। टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताएं अभी भी स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन मौद्रिक नीति का प्रभाव लगातार जारी है।”
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि बाहरी चुनौतियों के बावजूद भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था विश्व व्यवस्था में बदलाव के बीच सकारात्मक संकेत दे रही है।
गवर्नर ने कहा, “भारत के पास अवसर हैं और हम समन्वित नीति प्रयासों से अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर विकास पथ पर है और मूल्य स्थिरता भी बनी हुई है।”
इसके साथ ही आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 3.7 फीसदी से घटाकर 3.1 फीसदी कर दिया है, हालांकि गवर्नर ने साल के अंत तक हेडलाइन इंफ्लेशन में कुछ बढ़ोतरी की संभावना जताई है।