ट्रंप की टैरिफ धमकियों के बीच पीएम मोदी ने की पुतिन से बात, भारत आने को आमंत्रित भी किया

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अमेरिका द्वारा रूसी तेल खरीद को लेकर भारत पर टैरिफ लगाए जाने के बाद भी भारत और रूस ने अपनी परंपरागत मैत्रीपूर्ण और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का संकल्प दोहराया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को टेलीफोन पर बात कर द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और साझेदारी को और गहराने की प्रतिबद्धता जताई। यह बातचीत ऐसे समय हुई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर कुल 50 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है और रूसी तेल खरीद को लेकर नई दिल्ली पर दबाव बना रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन के साथ बातचीत के बाद सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, “मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन के साथ अच्छी और विस्तृत बातचीत हुई। मैंने उन्हें यूक्रेन के घटनाक्रमों की ताजा जानकारी साझा करने के लिए धन्यवाद दिया।”

मोदी ने बताया कि दोनों नेताओं ने भारत-रूस के विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की प्रगति की समीक्षा की और इसे और गहराने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने यह भी कहा कि वे वर्ष के अंत में पुतिन की भारत यात्रा की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

इससे पहले गुरुवार को ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा ने भी प्रधानमंत्री मोदी से अमेरिकी टैरिफ नीति के प्रभावों पर चर्चा के लिए फोन किया। इसके अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी हाल ही में मॉस्को में पुतिन और अन्य वरिष्ठ रूसी अधिकारियों से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में भी दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई थी।

इससे पहले बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया था। यह टैरिफ गुरुवार से लागू हो गया। ट्रंप ने हाल के दिनों में भारत और रूस के बीच व्यापार और ऊर्जा संबंधों पर लगातार निशाना साधा है और भारत पर रूसी तेल खरीद में कटौती करने का दबाव डाला है।

गौरतलब है कि भारत की सशस्त्र सेनाओं के सामान का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा रूस से आता है, और रूस अब भारत का सबसे बड़ा ऊर्जा आपूर्तिकर्ता बन गया है। साल 2025 की पहली छमाही में भारत की कुल ऊर्जा जरूरतों का 35 प्रतिशत रूस से आया है।

भारत ने अपनी ऊर्जा खरीद का बचाव करते हुए अमेरिका और यूरोपीय संघ की आलोचना की है। भारत का कहना है कि जब अन्य देशों के रूस से व्यापार करने पर अमेरिका को परेशानी नहीं है तो केवल भारत को निशाना बनाया जाना उचित नहीं है।

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