वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया गया आयकर विधेयक, 2025 वापस ले लिया है। उन्होंने सदन में कहा कि सरकार इस विधेयक का एक अद्यतन (updated) संस्करण जल्द ही पेश करेगी। बताया गया है कि इस कदम का उद्देश्य चयन समिति (सेलेक्ट कमेटी) द्वारा सुझाए गए परिवर्तनों को विधेयक में शामिल करना है, ताकि संसद के सामने एक स्पष्ट और संशोधित विधेयक रखा जा सके।
सरकारी सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि नया विधेयक 11 अगस्त, सोमवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा और उसमें सेलेक्ट कमेटी की अधिकांश सिफारिशें शामिल की जाएंगी। वित्त मंत्रालय के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया है ताकि एक से अधिक संस्करणों के कारण भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो और सभी बदलावों के साथ एक समेकित और स्पष्ट रूप से संशोधित विधेयक संसद के सामने रखा जा सके।
उल्लेखनीय है कि यह आयकर विधेयक वर्तमान में लागू छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा। पुराने कानून को अधिक सरल, पारदर्शी और वर्तमान आर्थिक जरूरतों के अनुसार ढालने की मंशा से यह नया विधेयक तैयार किया गया है। यह विधेयक इस साल 13 फरवरी को पहली बार लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद उसे जांच के लिए 31 सदस्यों वाली चयन समिति को भेज दिया गया था। इस समिति के अध्यक्ष भाजपा नेता बैजयंत पांडा हैं।
आयकर विधयेक की प्रमुख सिफारिशे
चयन समिति ने विधेयक में कई बदलावों की सिफारिश की है। इनमें प्रमुख रूप से उन धार्मिक ट्रस्टों को मिलने वाले अज्ञात दान (anonymous donations) पर टैक्स छूट जारी रखने की सिफारिश की गई है। वहीं ऐसे ट्रस्ट जो धार्मिक गतिविधियों के साथ-साथ अस्पताल या शैक्षणिक संस्थाएं भी चलाते हैं, उन्हें मिलने वाले अज्ञात दान पर कर लगाया जाएगा।
इसके अलावा समिति ने यह सुझाव भी दिया है कि यदि कोई करदाता इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) की निर्धारित समय सीमा के बाद टीडीएस (TDS) की वापसी के लिए दावा करता है, तो उस पर कोई दंडात्मक शुल्क (penalty) न लगाया जाए। यह सुझाव करदाताओं को राहत देने और कर व्यवस्था को और अधिक व्यवहारिक बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन्स (NPOs) को, जो पूरी तरह से धार्मिक ट्रस्ट हैं, उन्हें मिलने वाले अज्ञात दान पर कर नहीं लगाया जाएगा। हालांकि यदि कोई एनपीओ धार्मिक कार्यों के साथ अन्य सामाजिक कार्य—जैसे अस्पताल, स्कूल आदि—भी संचालित करता है, तो उसे मिलने वाले अज्ञात दान पर नियमानुसार कर लगेगा।
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि सरकार आयकर व्यवस्था को न केवल अद्यतन करना चाहती है, बल्कि वह यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि नया कानून अधिक पारदर्शी, सरल और लोगों के लिए सुविधाजनक हो। चयन समिति की सिफारिशों को शामिल कर विधेयक को फिर से पेश करना इस दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
285 सुझाव, शब्दों की संख्या घटी, नए बिल में बदलाव
इस बिल के मूल्यांकन के लिए बनी चयन समिति ने कुल 285 सुझाव दिए हैं। इन सभी सुझावों को ध्यान में रखते हुए सरकार अब विधेयक का अद्यतन संस्करण 11 अगस्त को लोकसभा में पेश करने जा रही है।
आयकर विभाग द्वारा जारी अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) के अनुसार, नया आयकर विधेयक शब्दों की कुल संख्या के मामले में पुराने कानून की तुलना में काफी संक्षिप्त है। जहां वर्तमान में लागू आयकर अधिनियम, 1961 में लगभग 5.12 लाख शब्द हैं, वहीं नए विधेयक में यह संख्या घटकर 2.6 लाख शब्द रह गई है। इससे स्पष्ट है कि नया कानून अधिक सरल, संक्षिप्त और व्यावहारिक भाषा में तैयार किया गया है।
इसके अलावा, नए विधेयक में धाराओं (Sections) की संख्या भी कम की गई है। मौजूदा कानून में कुल 819 प्रभावी धाराएं हैं, जबकि नए विधेयक में इनकी संख्या घटकर 536 कर दी गई है। इसी तरह अध्यायों (Chapters) की संख्या को भी आधा कर दिया गया है। पहले जहां कुल 47 अध्याय थे, अब यह संख्या केवल 23 होगी।
इन सभी बदलावों का उद्देश्य यह है कि आयकर कानून को आसान, सुलभ, आधुनिक और टेक्नोलॉजी-फ्रेंडली बनाया जा सके, ताकि करदाताओं को जटिलताओं का सामना न करना पड़े और आयकर से संबंधित प्रक्रियाएं ज्यादा सहज हों।